Saturday, 21 January 2012

प्रदूषण 
पर्यावरण प्रदूषण  में मानव की विकास प्रक्रिया का तथा आधुनिकता का महत्वपूर्ण योगदान है। मानव की वे सामान्य गतिविधियाँ भी प्रदूषण  कहलाती हैं, जिनसे नकारात्मक फल मिलते हैं।
प्रदूषण  दो प्रकार का हो सकता है-स्थानीय एवं वैश्विक। पहले केवल स्थानीय प्रदूषण को समस्या मन जाता था। उदहारण के लिए कोयले के जलने से उत्पन्न धुँआ, अत्यधिक सघन होने पर प्रदूषक बन जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हाल ही के दिनों में हुए शोधों से लगातार चेतना बढ़ रही है कि कुछ प्रकार का स्थानीय प्रदूषण, अब समस्त विश्व के लिए खतरा बन रहा है, जैसे अत्यधिक विस्फोटों से उत्पन्न होने वाली रेडियोधर्मिता। स्थानीय तथा वैश्विक प्रदूषणों की चेतना से पर्यावरण सुधर आन्दोलन प्रारंभ हुए हैं। जिससे कि मनुष्य द्वारा की गयी गतिविधियों से पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके, प्रदूषण को कम-से-कम किया जा सकता है।
समुद्र के किनार्रे तथा झीलों में उगने वाली वनस्पति शैवाल आदि जो कि प्रदूषण के कारण हैं, औद्योगिक कृषि,रिहायशी कॉलोनियों से निकालने वाले पदार्थ से प्राप्त पोषण(गन्दगी) से पनपते हैं। भारी तत्व जैसे लेड और मरकरी का जियोकैमिकल चक्र में अपना स्थान है। इनकी खुदाई होती है और इनकी उत्पादन प्रक्रया कैसी है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि ये तत्व पर्यावरण में किस प्रकार सघनता से जाते हैं। जैसे इन तत्वों का पर्यावरण में मानवीय निस्तारण प्रदूषण कहलाता है। वैसे ही प्रदूषण, देशज या एतिहासिक प्राकृतिक रासायनिक गतिविधि से भी पैदा हो सकता है।
वायुमंडल में कार्बनडाईओंक्साइड का होना भी प्रदूषण कहलाता है यदि वह धरती के पर्यावरण में अनुचित अंतर पैदा करता है। 'ग्रीन हॉउस' प्रभाव पैदा करने वाली गैसों में वृद्धि के कारण भू-मंडल का तापमान निरंतर बढ़ रहा है। जिससे हिमखंडों के पिघलने की दर में वृद्धि होगी तथा समुद्री जलस्तर बढ़ाने से तटवर्ती क्षेत्र, जलमग्न हो जाएंगी। हांलाकि इन शोधों को पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका स्वीकार नहीं कर रहा है। प्रदूषण के मायने अलग-अलग सन्दर्भों से निर्धारित होते हैं।
परम्परागत र्रोप से प्रदूषण में वायु, जल, रेडियोधर्मिता आदि आते हैं। यदि इनका वैश्विक स्तर पर विश्लेषण किया जाए तो इसमें ध्वनि, प्रकाश आदि के प्रदूषण भी सम्मलित हो जाते हैं। गंभीर प्रदूषण उत्पन्न करने वाले मुख्य स्रोत हैं-रासायनिक उद्योग, तेल रिफायनरीज़, आणविक अपशिष्ठ स्थल, कूड़ा घर, प्लास्टिक उद्योग, कर उद्योग, पशुगृह, दाहगृह आदि। आणविक संस्थान, तेल टैंक, दुर्घटना होने पर बहुत गंभीर प्रदूषण पैदा करते हैं। कुछ प्रमुख प्रदूषण क्लोरीनेटेड, हाइड्रोकार्बंस, भारी तत्त्व लैड, कैडमियम, क्रोमियम जिंक, आसैनिक, बैनजीन, आदि भी प्रमुख हैं। प्राकृतिक आपदाओं के पश्चात् प्रदूषण उत्पन्न हो जाता है। बड़े-बड़े समुद्री तूफानों के पश्चात् जब लहरें वापस लौटती हैं तो कचरे-कूड़े, टूटी नाव-कारें, समुद्र तट सहित आदि कारखानों के अपशिष्ट म्यूनिसपैल्टी का कचरा आदि भाकर ले जाती हैं। 'सुनामी' के पश्चात् के अध्ययन ने बाते कि तटवर्ती मचलियों में भारी तत्वों का प्रतिशत बहुत बढ़ गया है।
प्रदूषण विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ को भी जन्म देते हैं। जिसे केंसर, एलर्जी, प्रतिरोधक, बीमारियाँ आदि। यहाँ तक कि कुछ बीमारियों को उन्हें पैदा करने वाले प्रदूषक का ही नाम दे दिया है। जैसे मरकरी यौगिक से उत्पन्न बीमारी 'मिनामटा' कहलाती है।

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